'ब्लॅक फंगस' कोई नयी बिमारी नहीं है। आपने देखा है कभी दिवार पे कभी सीलन आ जायें तो काले रंग के दाग बन जाते है, वह एक तरह की फंगस होती है।
या फिर हमने काफी बार देखा है कि, ब्रेड या रोटी को नमी लग जाये तो उसके उपर व्हाईट रंग के या हलके निले-हरे रंग के दाग दिखाई देते है, यह भी एक तरह की फंगस होती है, जिसे हम विज्ञान की भाषा में 'रायझोपस' कहते है। हालाकि यह ब्लॅक फंगस नहीं होती लेकीन एक तरह की फंगस ही है। ऐसे कई तरह की फंगस होती है। 'रायझोपस' जीस तरह की फंगस है उसी तरह से 'ब्लॅक फंगस' (म्युकरमायकोसिस) एक तरह की फंगस है।
'ब्लॅक फंगस' का रंग देखा जाए तो सफेद होता है लेकीन जब ये शरीर को बाधीत करता है तो शरीर की वह बाधीत छोटी जगह काली हो जाती है, ईसी वजह से ईसे 'ब्लॅक फंगस' कहते है।
यह जो 'ब्लॅक फंगस' है यह हवा में और मिट्टी में मोजूद होता है। हमारे रोज के कार्यकाल में कई बार हम ईस के संपर्क में आते होंगे, अब सवाल बनता है की तब हम ईस से बाधीत क्यो नहीं होते ? तो वो ईस लिये नहीं होते क्योंकी, हमारे शरीर की 'रोग प्रतिकार शक्ती' (Immunity Power) मजबूत है। जिस इंन्सान की अंदर की यह शक्ती अच्छी है उन्हे यह ब्लॅक फंगस की बिमारी कभी नहीं होगी।
ईस ब्लॅक फंगस के बिमारी में सबसे ज्यादा खतरा किन लोगों को है।
सबसे पहले रिस्क में वह लोग है जो 'Immuno Compromised' है। जैसे की..
1) HIV/AIDS बिमारी के पेशंट्स
2) कॅन्सर के पेशंट्स या कॅन्सर की केमोथेरीपी लेने वाले पेशंट्स
3) 'किडनी डिजीस' के पेशंट्स
4) 'Kidney Transplant' के पेशंट्स
कोरोना हो या ना हो..ईस तरह के पेशंट्स पहले से ही 'ब्लॅक फंगस' बिमारी के खतरे में होते है। क्योंकी इनकी Immunity Power पहले से ही कमजोर होती है। ईस वजह यह लोग ब्लॅक फंगस के रिस्क में होते है।
..ईस तरह के लोगों को अपनी सेहत खास तरह से ध्यान रखना होगा। और सबसे महत्वपूर्ण सकारात्मक सोच से चलना होगा।
लेकीन अश्चर्य बनाने वाली बात यह है की, आज के दिन में न्यूज में, दोस्तो में और आस पास में जो 'ब्लॅक फंगस' का विषय चर्चा में आ रहा है उसके बारें में अस्पताल में 'ब्लॅक फंगस' के जितनें भी लोग भर्ती है वह सब डायाबिटीस से पिडीत है या फिर जिन लोगों ने 'स्टेराॅईड' का ज्यादा या गलत इस्तमाल किया है उन लोगों में ब्लॅक फंगस की बिमारी ज्यादा दिखाई दे रही है।
ऊपर दिये गये पेशंट्स के अलावा और कौनसे लोग ईस बिमारी में आ सकते है, हाला की ईस निष्कर्ष पर ठोस सबूत नहीं मिला है बस यह एक थेअरी है।
अगर आपने..
* कोरोना की ट्रिटमेंट में 'Zinc' की गोलीया ली है।
* आनेवाले समय में जो लोग कोरोना के जखड में आने वाले है, वह लोग 'ब्लॅक फंगस' से बाधीत हो सकते है।
* कोरोना की ट्रिटमेंट के दौरान ऑक्सीजन ट्युब अगर ठिक से साफ ना की गयी होगी।
* मेडिकल ऑक्सीजन खतम होने के वजह से अगर इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन का ईस्तेमाल किया होगा।
* कोरोना ट्रिटमेंट के दौरान ऑक्सीजन के साथ देने वाले 'ह्युमिडीफायर' नाम का कंटेनर जो होता है उसके जगह आम पानी ईस्तेमाल किया गया हो
* कोरोना ट्रिटमेंट के दौरान 'टाॅल्सीलाईझुमाब' ईस्तेमाल किया गया हो
हाला की अभी ईन मुद्दों पर ठोस सबूत नहीं है, लेकीन यह सारे मुद्दें 'ब्लॅक फंगस' की बिमारी में नजर आऐ हैं।
अब सबसे महत्वपूर्ण बात है 'ब्लॅक फंगस' को कैसे पहचाने और उसके लक्षण क्या है ? क्योंकी जितने जल्दी आप ईस बिमारी की ट्रिटमेंट लेना शुरू करोगे ऊतना ही ज्यादा ईस बिमारी से बचने की उम्मीद ज्यादा होती है। क्योंकी ईस बिमारी से का 50% मृत्यू-दर होता है। ईसका मतलब अगर 100 लोग ईस बिमारी से पिडीत है तो उनमें से 50% - 60% लोगों की मृत्यू होगी। इसलीये जितने जल्दी आप ईस बिमारी को पहचान लोगे और जितने जल्दी ईस बिमारी का ईलाज करना शुरू करोगे ऊतने ही ज्यादा ईस बिमारी से जींदगी बचने की उम्मीद ज्यादा होगी।
'ब्लॅक फंगस' बिमारी के लक्षण और कैसे पहचाने 'ब्लॅक फंगस' हो रहा है ?
1) कोरोना से आप अभी ठिक हुऐ है , लेकीन माथे के एक तरफ सिरदर्द हो रहा है।
2) चेहरे के एक तरफ छुनेपर दर्द हो रहा है।
3) चेहरे के एक तरफ स्पर्श करने पर वह जगह बेजान महसूस होना।
4) दातों में दर्द हो रहा है, या दात ढिलें पडना शुरू हो जाऐ।
5) सास लेते वक्त नाक में कुछ फसा जैसे लग रहा हो , या फिर नाक के अंदर से कुछ काला पाणी या काला कचरा बाहर आ रहा हो।
6) किसी भी प्रकार की सांस लेने में तकलीफ हो रहीं हो।
7) नाक से खुन आ रहा हो या फिर खुन के साथ काले रंग का कचरा आ रहा हो।
8) चेहरे के एक तरफ सूजन का आना।
'ब्लॅक फंगस' बिमारी की शुरूवात नाक से होती है, नाक से मिलती जुलती तकलीफों से शुरूवात होके धीरे धीरे यह बिमारी माथे की ऊपर की ओर बढने लगती है।
ऊपर की ओर बढके यह बिमारी आखों की तकलीफ देना शुरू करती है। उस वक्त कुछ ये लक्षण दिखाई देते है...
1) आखों में सुजन आना , आखों के पलकों का लटकना या फिर डबल दिखाई देना।
2) नजर का कम होना।
3) आखों का हिलना रूक जाना।
आगे जब आखों से ऊपर की तरफ यह बिमारी फैलनी लगे तो यह लक्षण दिखाई देती है।
1) विचार शक्ती का कम होना।
2) निराश या खोया-खोया सा रहना।
अगर ईन में से कोई भी लक्षण आपको नजर आ रहे हो तो.. तुरंत आपको किसी अच्छे , बडे अस्पताल में जाना है। अच्छा, बडा अस्पताल इसलीये कहा क्योंकी ईस बिमारी की ट्रिटमेंट घर के पास होने वाले छोटे क्लिनिक में नहीं हो सकती।
ईन सारे जानकारी में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की, अगर आपको ऐसा लग रहा हो की ईस बिमारी के लक्षण आपके तकलीफों से मिल रहे है। तो वक्त बर्बाद किये बिना तुरंत डाॅक्टर के पास जाये।
'ब्लॅक फंगस' के टेस्ट
1) नॅसल एंडोस्कोपी और बायोप्सी
ईस टेस्ट में नाक को अंदर से चेक किया जाता है और आधे घंटे के अंदर जानकारी समीटी जाती है।
2) कॉन्ट्रास्ट ऐनहान्स्ड एम आर आय
'ब्लॅक फंगस' के ईलाज और उपाय
1) शुगर कंन्ट्रोल ( डायाबिटीस )
2) स्टेराॅईड को बंद करना
3) ब्लॅक फंगस के ट्रिटमेंट में ऐंफोटेरिसीन 'B' नाम की मेडिसीन ईस्तेमाल की जाती है।
4) फंगल से हुई डेड और खराब स्किन को हटाया जाऐगा
5) और कई तरह के फंगल मेडिसीन
अगर 10,000 कोरोना से पिडीत लोगों में ऊन में सीर्फ 3 लोगों ही यह बिमारी होगी। लेकीन अगर कोई डायबेटीक पेशंट्स हो या जो कोरोना पॉझिटीव्ह है या थे और जिन्होंने 'स्टेराॅईड' (Steroid) का ईस्तेमाल किया हो ईन सारे लोगों को अपने डायाबिटीस ( Diabetes ) को हर रोज मॉनिटर करना है और डायाबिटीस ( Diabetes ) को कंन्ट्रोल करना है।
( Disclaimer: article on call interview of Dr Sulochna Kelkar, Jaslok Hospital, Mumbai )
Nice post
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