अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडन ने अमेरिका में 6 ट्रिलियन डॉलर का बजट प्रस्ताव किया है। बिजींग में ऐसी कौन सी बात हुई है जीस से न्यूक्लियर जंग की दस्तक सुनाई दे रही है ? शक्तिशाली देश अमेरिका क्यों गुस्से में है ? अमेरिका के तिरछी नजर में क्यो है चीन ?
दुनिया में दो शक्तिशाली देशों का घनासान बहुत ही तेज हो गया है। अमेरिका के बजेट प्रस्ताव ने ईस बात का खुलासा किया है कि आनेवाले कुछ दिनों में उसने चीन से मुकाबले का इंतजाम कर के रखा है। अमेरिका के बजट में ईसबार चीन निशाने पर है। क्योंकी, चीन से मुकाबले के लिये अमेरिका ने अपने बजट का खजाना खोल दिया है। जीस में पुराने हथियार हटाकर नये और ज्यादा मारक आधुनिक परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार कर सके।
दरसल, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडन ने अमेरिका में 6 ट्रिलियन डॉलर का बजट प्रस्ताव किया है। ऊसमें रक्षा मंत्रालय का बजट 715 बिलियन डॉलर रखा है। याने कि, ईस में पिछले साल के मुकाबले 1.7% की बढ़ोतरी की गई है। और सैनिकों के वेतनों में 2.7% की बढ़ोतरी की है। ईस में सबसे बडा महत्व आधुनिक परमाणु हथियारों पर रखा गया हैै।
अमेरिकी सैन्य और रणनीति बनाने वाले प्लॅनर चीन के साथ बढने वालें वाद विवाद और तनाव के वजह से कुछ ईस तरह की रणनितीया बना रहे है जैसे किसी एक बडे जंग की दस्तक के आने की संभावना है। क्योंकि, चीन और अमेरिका के बीच हुए ट्रेड वाॅर के टकराहट और कई वाद विवाद के मुद्दों ने हवा दी है। दक्षिण चीन-सी ने ईनके बीच साथ बीछी हुई है।
पिछले हफ्ते में बिजींग ने अमेरिका पर कई आरोप लगाये थे, यु एस पर चीन का आरोप था की, तैवान जलदमरू मध्य की शांती और स्थिरता के लिये खतरा पैदा कर रहा है। ईन आरोपों के पिछे की वजह अमेरिकी लढाऊ जहाज का संवेदनशील जलमार्ग से गुजरना यह एक ही वजह थी। यही वजह है कि, हालात पर तेजी से अपनी पकड मजबूत करने के लिये अमेरिका ने सिर्फ रिसर्च बजट पर 112 बिलियन डॉलर खर्च करने का फैसला किया है। पेंटागन अपने पुराने जंग के हथियारों की जगह पर बेहतर और अतिक्षमता मारक हथियार के साथ तैयार होना चाहता है। ईस लिये, बायडन प्रशासन मार्टिन लाॅकहीड के बनाए गये 84 स्टिल्थ एफ 35 फायटर जेट्स खरीदने में लगा हुआ है। जबकि इस से पहले 2021 के बजट में 79 फायटर जेट का टारगेट और 2020 के बजट में 78 जेट विमानों की मांग की गई थी। ईसी तरह अमेरिकी स्पेस फोर्स के बजट को दो बिलियन बढाकर 17.4 बिलियन डॉलर कर दिया है।
अब सवाल है, अमेरिका को न्यूक्लियर वार बजेट पर इतने बडे लक्ष्य को केंद्रीत करने की जरुरत क्यो पडीं ?
वजह यह है, अमेरिकी सेना के स्टेटरजीट कमांडो के प्रमुख अॅडमिनरल चार्ल्स रिचर्ड। दरसल ईस कमांड की तरफ से पिछले ही महीने हथियारों की आधुनिकीकरण को लेकर चेतावनी दी गई थी। रिचर्ड ने अमेरिका के दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी देशों को रूस और चीन के परमाणु हथियारों के क्षमता का जो आकलन बताया वो यु एस की आखें खोलने वाला बना।
उन्होंने कहा, अमेरिका के तुलना में चीन और रूस अपने न्यूक्लियर हथियारों का आधुनिकीकरण काफी तेजी से कर रहे हैं। ईसलिये, अमेरिका ने अपने परमाणु हथियारों और परमाणु रक्षा के ढांचे में बदलाव नहीं किया तो दुश्मन के नजर में उसकी सार्क खतम हो जाऐगी।
रिचर्ड की बातें ईसलिये महत्वपूर्ण मुद्दों पर ले जा रहे है क्योंकि, चीन और यु एस के बीच छीडी हुए वर्चस्व से जंग में पूरी दुनिया में तरह तरह के विषय और कई प्लॉट बन रहे हैं। जो ईसे 'वर्ड वाॅर' का रूप दे रहें है।
जागतिक विवाद और अशांतता के विषय :
1) साऊथ चायना सी में अमेरिका और चीन का विवाद और घमासान
2) मध्य - पुर्व में फिलिस्तीन - इस्राइल का तनाव
3) बेलारूस पर रूस-चीन और यु एस, युरोपीय देशों में बना हुआ विवाद
4) लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव
अमेरिका और चीन दोनों देशों के तरफ से जमा करते जा रहें न्यूक्लियर हथियारों की गतीयों की ललकार, 'वर्ड वाँर' की दस्तक दिला रही है।
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