सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी पुरुष पर दुष्कर्म का झूठा आरोप उतना ही भयावह और पीड़ा देने वाला होता है, जितना किसी महिला के साथ दुष्कर्म. बेकसूर को झूठे मामलों में फंसाने से बचाया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालत का कर्तव्य बनता है कि वह सावधानी और बारीकी से हर पहलू को देखे.
जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला की बेंच ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि दुष्कर्म से पीड़िता को सबसे ज्यादा परेशानी और अपमान सहना पड़ता होता है, लेकिन साथ ही दुष्कर्म का झूठा आरोप आरोपी को भी उतना ही कष्ट, अपमान और नुकसान पहुंचा सकता है.









